कृषि विभाग नहीं दे पा रहा ये , किसानों की बढ़ सकती परेशानी

कृषि विभाग एक दर्जन से अधिक केन्द्रीय योजनाओं में डायरेक्टर बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) वाली राशि के करीब 105 करोड़ का हिसाब नहीं दे पा रहा है। इस पर विभाग के अपर मुख्य सचिव डा. देवेश चतुर्वेदी ने सख्त नाराजगी जताई है। इस बारे में उन्होंने कृषि निदेशक विवेक सिंह को 23 मई और 16 जुलाई को दो पत्र लिखे। इन पत्रों में पूछा गया कि वर्ष 2021-22 और वर्ष 2022-23 के दौरान जिलेवार स्वीकृत बजट में डीबीटी माध्यम से इतर धनराशि का व्यय किया गया है? अगर किया गया है तो उसका विवरण दिया जाए।

 पीएम किसान सम्मान निधि योजना के तहत लाभ पा रहे किसानों के भूलेख के सत्यापन की प्रक्रिया में करीब 26 लाख अपात्र या निधि की कोई भी किस्त न पाने वाले किसानों का ब्यौरा मिला है। अब ऐसे किसानों के नाम सत्यापन सूची से हटाए जाएंगे। यही नहीं इस ब्यौरे को उप निदेशक कृषि के लॉग-इन पर प्रदर्शित किया जाएगा जिससे भूलेख की अनावश्यक जांच से बचा जा सके। यह निर्देश बुधवार को कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने समीक्षा बैठक में दिए।
अधिकारियों ने बताया कि प्रदेश में कुल 2.59 करोड़ किसान हैं। इनमें से पीएम किसान सम्मान निधि के तहत सत्यापित 2.29 करोड़ किसान और समीक्षा के दौरान यह पाया गया कि भूलेख अंकित किसानों की संख्या 1.29 करोड़ है जो कि लगभग 49 प्रतिशत तक पहुंच गया है।
पत्र के अनुसार पारदर्शी किसान योजना में किसानों की आधार संख्या बैंक खाता नम्बर पहले से ही उपलब्ध है, जिसके आधार पर पीएम किसान योजना की धनराशि को उपलब्ध करवाया जा रहा है।
क्या ऐसे प्रकरण प्रकाश में आए हैं, अगर ऐसा है तो उसका जिलेवार विवरण दिया जाए। विभाग के वित्त नियंत्रक अशोक सिंह ने बताया कि पहले यह 122 करोड़ का अंतर था जो अब हिसाब-किताब मिलाने पर 105 करोड़ पर आ गया है। उन्होंने आशंका जताई कि सम्भव है कि यह राशि किसानों के खातों में न जाकर फर्मों के खातों में चली गई हो। इसकी जांच कराई जा रही है।

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