सिरदर्द से रहते हैं परेशान तो करे ये योगासन

आजकल की व्यस्त जीवनशैली की वजह से लोगों के बीच बढ़ता तनाव एक आम समस्या बनकर रह गया है। जिसकी वजह से कम उम्र में ही लोगों को सिरदर्द जैसी शिकायतें हो रही हैं।

सिरदर्द से राहत पाने के लिए लोग अक्सर दवाओं का सहारा लेते हैं, लेकिन बार-बार सिरदर्द से राहत पाने के लिए दवाओं का सेवन सेहत को नुकसान भी पहुंचा सकता है। ऐसे में सिरदर्द और माइग्रेन जैसे दर्द से राहत पाने के लिए आप इन योगासनों की मदद ले सकते हैं।

बालासन-
बालासन को शिशुआसन या चाइल्ड पोज भी कहा जाता है। अगर आप रोजाना इस आसन का अभ्यास करते हैं तो आपका तंत्रिका तंत्र रिलैक्स रहता है और सिरदर्द की समस्या प्रभावी ढंग से कम होती है।

इस आसन को करने के लिए आप सबसे पहले मैट पर घुटने मोड़कर बैठ जाएं, जिस तरह आप वज्रासन में बैठती हैं। इसके बाद आप अपने दोनों हाथों को उपर की ओर उठाएं। अब आप दोनों हाथों को धीरे-धीरे आगे की ओर लाते हुए जमीन की तरफ झुकें। आपको इतना झुकना है कि आपका माथा जमीन को टच करे और आपके हाथ आगे की तरफ हों।

कुछ क्षण इसी अवस्था में रूकें। इसके बाद आप सामान्य अवस्था में लौट आएं। आप अपनी सुविधानुसार इस आसन का अभ्यास कर सकते हैं। लेकिन इस आसन का अभ्यास करते हुए अगर आपको कमर में दर्द महसूस हो रहा हो या फिर आपका ऑपरेशन हुआ है तो इस आसन का अभ्यास ना करें।

पश्चिमोत्तानासन-
पश्चिमोत्तानासन योगासन महिलाओं के लिए किसी रामबाण से कम नहीं है। इसके नियमित अभ्यास से ना केवल महिलाओं में सिरदर्द की समस्या ठीक होती है, बल्कि यह उनके मातृत्व में भी लाभदायक है।

इस आसन का अभ्यास करने के लिए सबसे पहले दोनों पैरों को आगे की ओर फैलाकर मैट पर बैठ जाएं। ऐसा करते समय आपके पैर या घुटने मुड़े हुए नहीं होने चाहिए। अब आप अपने दोनों हाथों की मदद से पैरों के अंगूठों को पकड़ने का प्रयास करें। अंगूठों को पकड़ते समय इस बात का ध्यान रखें कि आपकी छाती आपके घुटनों को छू रही हो और आपका सिर नीचे की ओर झुका हुआ हो। आप यथासंभव इस अवस्था में रूकें और फिर सांस छोड़ते हुए पहले की मुद्रा में लौट आएं।

सेतुबंधासन-
यूं तो इस आसन के अभ्यास से महिलाओं को पाचन तंत्र से लेकर मासिक धर्म की समस्याओं तक में राहत मिलती है, लेकिन इस आसन को सिरदर्द के लिए भी बेहद प्रभावी माना गया है। इस आसन को करने से दिमाग को शांति मिलती है।

इस आसन को करने के लिए सबसे पहले जमीन पर एक मैट बिछाकर पीठ के बल लेट जाएं और घुटनों को मोड़ लें। ध्यान रहे, घुटने और पैर एक सीध में रहें और दोनों के बीच हल्का सा गैप रहे। अब सांस लेते हुए, धीरे से अपनी पीठ के निचले, मध्य और फिर सबसे ऊपरी हिस्से को जमीन से उठाएं। ऐसा करते समय सिर्फ अपने शरीर को उठाएं लेकिन दोनों हाथ मैट पर ही रखें। अब ठुड्डी को हिलाए बिना छाती को ठुड्डी से लगाएं। इस दौरान शरीर के निचले हिस्से को स्थिर रखें। थोड़ी देर इस अवस्था में रूकें और फिर सांस छोड़ते हुए सामान्य स्थिति में लौट आएं।

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