लखनऊ की हवा को प्रदूषित कर रहा पाकिस्तान और अफगान का ये, सतर्क हो जाए लोग
लखनऊ को प्रदूषित करने में यहां से ज्यादा देश के दूसरे राज्यों का ही नहीं, पड़ोसी देशों का भी योगदान है। यह दावा द एनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट (टेरी) और सीएपी इंडिया द्वारा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सहयोग से किए गए अध्ययन में किया गया है।
इस रिपोर्ट को बुधवार को स्थानीय होटल में पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभारी डॉ. अरुण सक्सेना ने जारी किया। वहीं इन आंकड़ों को विभाग के अपर मुख्य सचिव मनोज सिंह ने साझा किया।
उन्होंने कहा कि सिर्फ शहरों के हिसाब से प्रदूषण नियंत्रण प्लान बनाने से काम नहीं चलेगा। एयरशेड के हिसाब से एक्शन प्लान बनाना होगा। इस दिशा में भी यूपी ने कदम बढ़ा दिया है। वर्ल्ड बैंक वर्ष 2030 तक यूपी को 2000 करोड़ रुपये देगा। अगले 10 साल में प्रदेश में 30 से 40 फीसदी प्रदूषण घटाने का लक्ष्य रखा गया है। प्रदूषण घटेगा तो हमारी उम्र भी बढ़ेगी। योगी सरकार की सख्ती के कारण प्रदेश में पराली जलने की घटनाएं रुकी हैं।
कार्यशाला में पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डा. अरुण कुमार सक्सेना ने कहा कि आज ग्लोबल वार्मिंग केवल एक देश नहीं बल्कि सम्पूर्ण विश्व की समस्या है। उन्होंने कहा कि आज के युग में पर्यावरण हमारी पहली प्राथमिकता होनी चाहिए और ‘पंचसूत्र’ को अपनाना चाहिए।
मीडिया के पास सही ज्ञान साझा करने और जागरूकता पैदा करने के साथ लोगों को जागृत करने की शक्ति है क्योंकि मीडिया संविधान का चौथा स्तंभ है। इससे पूर्व उन्होंने टेरी और स्विस एजेंसी फॉर डेवलपमेंट एंड को-ऑपरेशन के सहयोग से आयोजित मीडिया संवेदीकरण कार्यशाला का शुभारम्भ किया। डा. सक्सेना ने पीएम 2.5 के उत्सर्जन सूची और स्रोत योगदान पर एक रिपोर्ट भी जारी की।
टेरी के कुलपति प्रतीक शर्मा और आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर डा. मुकेश शर्मा ने उत्सर्जन सूची पर मीडिया को तकनीकी जानकारी साझा की। उन्होंने कहा ‘वायु प्रदूषण के स्रोतों की पहचान करना वायु प्रदूषण का मुकाबला करने के लिए पहला कदम है और मीडिया के पास जागरूकता पैदा करने के लिए सही जानकारी के साथ लोगों तक पहुंचाने की शक्ति है।
इस दौरान कई तकनीकी सत्र हुए। इस मौके पर टेरी की डीजी डा. विभा धवन, प्रधान मुख्य वन संरक्षक ममता संजीव दुबे सहित अन्य मौजूद रहे। कार्यक्रम के मॉडरेटर वन पर्यावरण विभाग के सचिव आशीष तिवारी थे।
उन्होंने कहा कि लखनऊ के प्रदूषण में 55 फीसदी हिस्सेदारी देश के दूसरे हिस्सों के प्रदूषण की है जबकि 14 फीसदी प्रदूषण पड़ोसी मुल्कों, पाकिस्तान, अफगानिस्तान सहित अन्य के जरिए यहां होता है। यूपी के बाकी शहरों का इसमें योगदान महज पांच फीसदी है। वहीं यदि लखनऊ की बात करें तो यहां प्रदूषण फैलाने में सबसे बड़ी हिस्सेदारी आवासीय क्षेत्र की है, जो 23 फीसदी है।