बच्चा चोरी की अफवाहों के चलते बढ़ी शासन की चिंता , पाहे पूरी खबर

पिछले कुछ दिनों में प्रदेश के दर्जन भर से ज्यादा जिलों में बच्चा चोरी की अफवाहों के चलते हुई मारपीट की 60 से ज्यादा घटनाओं ने शासन की चिंता बढ़ा दी है। कई मामलों में पुलिस ने मौके पर पहुंचकर भीड़ का शिकार बने लोगों को बचाया।

जांच किए जाने पर ज्यादातर मामलों में घूम रहे विक्षिप्तों पर ही शक किए जाने की बात सामने आई। सोशल मीडिया पर फैली अफवाहों के कारण भीड़ ने उनके साथ मारपीट की। कम्युनिटी पुलिसिंग के तहत विकसित ‘सी-प्लान एप’ के माध्यम से लोगों को अफवाहों पर ध्यान न देने के संदेश भी भेजे जा रहे हैं। सोशल मीडिया पर आने वाली अफवाहों पर तत्काल खंडन किया जा रहा है।

एडीजी कानून-व्यवस्था प्रशांत कुमार ने तीन सवालों के जवाब में कहा कि-
– क्या बच्चा चोरी की अफवाहों के पीछे कोई विशेष पैटर्न है?
नहीं इसके पीछे कोई खास पैटर्न नहीं है। अलग-अलग तरह के घटनाक्रम सामने आ रहे हैं।
– इसके पीछे क्या मकसद हो सकता है?
कोई खास मकसद नहीं दिख रहा है। इसे एक तरह से ‘मास हिस्टीरिया’ कह सकते हैं। ऐसा विदेशों में भी होता है। इसके स्रोत का पता लगाना मुश्किल होता है।
– यह कितना खतरनाक है?
यह ट्रेंड खतरनाक और चिंताजनक है, इसीलिए इसमें तत्परता के साथ कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं।

मास हिस्टीरिया का अर्थ एक विशेष प्रकार के माहौल के हिसाब से व्यवहार होना होता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक ‘मास हिस्टीरिया’ के मामलों में ज्यादातर देखा-देखी और सुनी-सुनाई बातों के जरिये कोई घटना होती देखी गई है। जैसे दूसरों में जो बर्ताव, हरकत या लक्षण लोग देखते या सुनते हैं, अक्सर खुद भी वही करने लगते हैं या महसूस करते हैं।

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