धूप में मोबाइल का इस्तेमाल करने से आपकी आंखों में हो सकती है ये समस्या , जानिए सबसे पहले

आज के समय में शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति बचा होगा, जो मोबाइल फोन का इस्तेमाल नहीं करता होगा। डिजिटल युग में मोबाइल फोन से बचा रहना लगभग नामुमकिन है। आंखों की समस्या कई कारणों से हो सकती है, जिनमें से एक है फोन का लगातार इस्तेमाल और लंबे समय तक स्क्रीन पर समय बिताना।

लेकिन क्या आप जानते हैं कि धूप में फोन का इस्तेमाल करने से आंशिक अंधापन (Partially Blindness) हो सकता है। मैक्यूलोपैथी, जिसे मैकुलर डिजनरेशन के रूप में भी जाना जाता है, एक ऐसी बीमारी है जो रेटिना के पिछले हिस्से को प्रभावित करती है, जिसे मैक्युला कहा जाता है। मैकुलोपैथी वाले लोग पूरी तरह से अंधे नहीं होते हैं, लेकिन अक्सर इन्हें दिखाई नहीं देता।

सौर मैकुलोपैथी के मामले में, सूर्य के सीधे संपर्क में आने से रेटिना और मैक्युला को नुकसान हो सकता है। ऐसे मामलों में लोगों को सूरज की किरणों के कारण डैमेज हुई आंंखों के कारण आकृतियों को पहचानने में मुश्किल होती है।

आंखों की देखभाल करने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि धूप के सामने कभी भी मुंह करके खड़े न हों। वहीं, धूप में खड़े होकर मोबाइल फोन चलाने से बचें।

सनग्लासेज आपको  सूरज की पराबैंगनी (यूवी) किरणों से बचाने में मदद करेगी। बहुत ज्यादा यूवी किरणों का आंंखों पर पड़ने से मोतियाबिंद और कई दूसरी आंखों की प्रॉब्लम्स का खतरा रहता है।

आप अगर कॉन्टेक्ट लेंस पहनते हैं, तो  यूवीए और यूवीबी किरणों के 99% से 100% को ब्लॉक करने वाले लेंस पहनें। रैप अराउंड लेंस आपकी आंखों को साइड से बचाने में मदद करते हैं।

आप अगर बिजली से जुड़ा कोई काम कर रहे हैं, तो सेफ्टी आईवियर का इस्तेमाल करें। आइस हॉकी, रैकेटबॉल और लैक्रोस जैसे खेलों से भी आंखों में चोट लग सकती है। आंखों की सुरक्षा का ख्याल रखें। सेफ्टी फेस मास्क वाले हेलमेट या पॉली कार्बोनेट लेंस वाले स्पोर्ट्स गॉगल्स आपकी आंखों की सुरक्षा करेंगे।

इस परेशानी में दो मामले सामने आए हैं, जिसमें रोगियों में से एक 20 वर्षीय लड़की है, जिसने समुद्र तट पर अपने मोबाइल फोन का इस्तेमाल किया, जबकि दूसरा रोगी 30 वर्षीय व्यक्ति है, जो धूप में बैठकर घंटों तक अपने टैबलेट पर पढ़ रहा था। हालांकि, यह निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता है कि किन लोगों को इस बीमारी का खतरा सबसे ज्यादा है। यह संभावना है कि कम उम्र के लोगों को भी इस आंखों की बीमारी का ज्यादा खतरा है।

 

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