US ने भारत से लिया रूस के समर्थन का बदला?, पाकिस्तान को दिया ये…

अमेरिका ने पाकिस्तान को एफ-16 लड़ाकू विमानों के बेड़े के रखरखाव के लिए 450 मिलियन डॉलर का पैकेज दिया है। इससे पहले खबरें थीं कि भारत ने पाकिस्तान के साथ अमेरिका के इस समझौते को लेकर कड़ी आपत्ति जाहिर की है।

यही नहीं यह कयास भी लगाए गए थे कि यूक्रेन से युद्ध में रूस का विरोध न करने का बदला लेते हुए अमेरिका ने यह कदम उठाया है। हालांकि अब खुद अमेरिका ने इस पर सफाई दी है और कहा है कि यू्क्रेन युद्ध के बदले में यह स्टैंड लेने जैसी कोई बात ही नहीं है। अमेरिका का कहना है कि यह फ़ैसला लेने से पहले उसने भारत से इस बारे में चर्चा की थी।

एली रैटनर ने मीडिया से बातचीत में कहा, ‘अमेरिकी सरकार का यह फ़ैसला पाकिस्तान के साथ हमारी रक्षा साझेदारी को बढ़ाने के लिए किया गया। जो मुख्य तौर पर आतंकवाद और परमाणु सुरक्षा पर केंद्रित है।’ उन्होंने कहा कि इस डील का यूक्रेन के मसले पर भारत के स्टैंड से कोई लेना-देना नहीं है।

रैटनर ने कहा कि ये वो मुद्दा है जिसमें हमने अपने भारतीय समकक्षों को भी शामिल किया और घोषणा से पहले उन्हें डील की जानकारी दी। मैंने अपने दिल्ली दौरे पर भी इस बारे में बात की थी। रैटनर ने कहा कि वो भारत के साथ इस मामले में ‘हर तरह से पारदर्शिता’ बरतना चाहते थे इसलिए उन्हें डील की जानकारी दी गई थी।

अमेरिका मंत्री ने साफ तौर पर कहा कि एफ-16 पर हुई डील का फैसला भारत के रूस के साथ उसके संबंधों या यूक्रेन संघर्ष पर उसके निष्पक्ष रहने से जुड़ा नहीं है। उन्होंने कहा कि यह डील किसी को भी संदेश देने के लिए नहीं है। अमेरिका ने पाकिस्तान को जो फंड जारी किया है, उसका इस्तेमाल एफ-16 जेट्स के रखरखाव में किया जाएगा। सौदे के अनुसार विमान के इंजन में हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर मॉडिफिकेशन किए जाएंगे ताकि वे उड़ान भरने लायक बने रहें।

अमेरिका ने पाकिस्तान के साथ एफ-16 फाइटर जेट्स के रखरखाव को लेकर हुए सौदे को लेकर अपनी स्थिति स्पष्ट की है। बता दें कि एफ-16 फाइटर जेट पाकिस्तान को अमेरिका ने ही दिए थे और विंग कमांडर अभिनंदन ने इसी विमान को मिग-21 पर सवार होते हुए भी मार गिराया था।

अमेरिकी रक्षा मंत्रालय में इंडो-पैसिफ़िक सिक्योरिटी अफ़ेयर्स के सहायक मंत्री एली रैटनर ने कहा कि इस डील का मतलब भारत को रूस के साथ बेहतर रिश्तों की वजह से नीचा दिखाना नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत को इस डील के संबंध में पहले और इसके दौरान सारी जानकारी दी गई थी।

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