कार्बेट पार्क में छह हजार से ज्यादा पेड़ बिना इजाजत कटे , रिपोर्ट में हैराने करने वाले खुलासे

कार्बेट पार्क की पाखरो रेंज में टाइगर सफारी के लिए छह हजार से ज्यादा पेड़ बिना इजाजत काट दिए गए। यह खुलासा फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया यानी एफएसआई की रिपोर्ट में हुआ है। एफएसआई ने यह रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंप दी है। हालांकि, पीसीसीएफ विनोद सिंघल ने इस रिपोर्ट में तकनीकी खामियां बताई हैं।

पेड़ कटान की विजिलेंस ने भी की थी जांच: कालागढ़ टाइगर रिजर्व पाखरो क्षेत्र में टाइगर सफारी के लिए पेड़ों के अवैध कटान और निर्माण की जांच विजिलेंस ने भी की थी। रिपोर्ट में कई अनियमितताएं उजागर हुई थीं। पाखरो में वन विभाग ने 106 हेक्टेयर वन क्षेत्र में टाइगर सफारी के लिए बाड़ों का निर्माण समेत कई कार्य कराए थे।

मगर, इस प्रोजेक्ट के तहत 2019 में अवैध तरीके से पेड़ काटे गए और अवैध निर्माण किए गए। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) की टीम ने भी संबंधित अधिकारियों पर कार्रवाई के निर्देश दिए थे। विजिलेंस की रिपोर्ट में निर्माण कार्यों के लिए वित्तीय और प्रशासनिक स्वीकृति नहीं लेने की बात सामने आयी थीं।

बाघों के बाड़े के डिजाइन की नहीं ली अनुमति: पाखरो में बाघों के बाड़ों के अंतिम डिजाइन को राष्ट्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण से अनुमोदित नहीं कराया गया। टाइगर सफारी के लिए वन भूमि हस्तांतरण के साथ ही राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण से अनुमति ली गई, लेकिन संरक्षित क्षेत्र के नियम-कायदों को दरकिनार कर दिया गया।

मामले में कालागढ़ टाइगर रिजर्व के तत्कालीन डीएफओ (अब रिटायर) किशन चंद और तत्कालीन मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक (अब रिटायर) जेएस सुहाग को निलंबित कर दिया था। साथ ही, कालागढ़ टाइगर रिजर्व के तत्कालीन निदेशक राहुल को वन मुख्यालय से संबद्ध कर दिया था।

पिछली सरकार के कार्यकाल में कॉर्बेट पार्क की पाखरो रेंज में टाइगर सफारी की योजना बनाई गई थी। लेकिन, इस योजना में एक के बाद एक तमाम अनियमितताएं सामने आईं। योजना में बिना इजाजत पेड़ काटने, टेंडर से पहले ही ठेकेदारों से काम कराने जैसी बातें जोर-शोर से उठीं तो मामले की जांच कराई गई। सरकार ने पेड़ कटान के मामले की जांच फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया को सौंपी। अब फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया ने 81 पन्नों की रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है।

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