मैनपुरी की जनता 5 दिसम्‍बर 2022 को चुनेगी अपना नया सांसद, जानिए अखिलेश के लिए क्‍यों चुनौती बन रही है ये सीट

सपा संस्‍थापक मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद मैनपुरी लोकसभा सीट के लिए उपचुनाव कराए जा रहे हैं। मैनपुरी की जनता 5 दिसम्‍बर 2022 को अपना नया सांसद चुनेगी। इस लोकसभा सीट पर सपा की बादशाहत के किस्से दिल्ली तक सुने और सुनाए जाते थे। यह पहला मौका है जब समाजवादी पार्टी को इस सीट पर भी चुनौती मिलती दिख रही है।

विरासत की जंग में मैनपुरी से सपा का योद्धा कौन होगा इस बारे में अखिलेश यादव ने अभी तक अपने पत्‍ते नहीं खोले हैं। दूसरी तरफ गोला गोकर्णनाथ सीट पर हुए उपुचनाव में हार के बाद विरोधियों को सपा की क्षमता पर सवाल उठाने का मौका मिल गया है। यहां तक कि सोमवार को बसपा सुप्रीमो मायावती ने मैनपुरी का हवाला देते हुए दो ट्वीट करके सपा की जीत पर अपना शक जाहिर किया।

सोमवार को एक गेस्ट हाउस में भाजपा की एक बैठक हुई जिसमें उपचुनाव में जीत लिए पदाधिकारियों ने मंत्रणा की। बैठक में जिला पंचायत अध्यक्ष प्रतिनिधि गोविंद भदौरिया, विधानसभा प्रभारी राहुल चतुर्वेदी और संयोजक अरुण प्रताप सिंह मौजूद रहे। नेताओं ने कहा कि कार्यकर्ता तैयारियों में जुट जाएं और पार्टी को जीत दिलाएं। उन्‍होंने उपचुनाव में बीजेपी को भारी जीत का भरोसा जताया।

बता दें कि पिछले विधानसभा चुनाव से ही बीजेपी यूपी में सपा को एक के बाद झटके दे रही है। जून में अखिलेश यादव के इस्‍तीफे से खाली हुई आजमगढ़ और आजम खां के इस्‍तीफे से खाली हुई रामपुर संसदीय सीट पर सपा उम्‍मीदवारों को पटखनी देकर बीजेपी ने एतिहासिक जीत हासिल की। इसके बाद 3 नवम्‍बर को गोला गोकर्णनाथ विधानसभा सीट के चुनाव में भी सपा को बीजेपी के हाथों करारी हार मिली।

उन्‍होंने ट्वीट में कहा कि आजमगढ़ की तरह सपा के सामने पुरानी सीट को बचाने की चुनौती रहेगी। देखना होगा कि सपा ये सीट भाजपा को हराकर जीतेगी या फिर सपा भाजपा को हराने में सक्षम नहीं है ये फिर से साबित हो जाएगा। इस ट्वीट को लेकर चर्चा है कि बसपा सुप्रीमो ने मैनपुरी चुनाव न लड़ने का फैसला कर लिया है। इस संबंध में जिले के बसपाई खामोश हैं और कुछ भी कहने से बच रहे हैं। लेकिन भगवा खेमा उपचुनाव की घोषणा के बाद से ही उत्‍साहित है।

 

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