सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से जताई नाराजगी, कहा जजों की नियुक्ति में देरी स्वीकार्य नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने शीर्ष अदालतों में जजों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम द्वारा भेजे गए नाम पर फैसला न लेने को लेकर केंद्र सरकार से कड़ी नाराजगी जताई। अदालत ने शुक्रवार को कहा कि यह अस्वीकार्य है।

एडवोकेट्स एसोसिएशन, बेंगलुरु द्वारा अधिवक्ता पई अमित के माध्यम से दायर याचिका में उच्चतर न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति में असाधारण देरी का मुद्दा उठाया है।

इसने 11 नामों का उल्लेख किया है, जिनकी सिफारिश की गई थी और बाद में ये नाम दोबारा भी भेजे जा चुके हैं। पीठ ने कहा, अगर हम विचार के लिए लंबित मामलों की स्थिति को देखें, तो सरकार के पास ऐसे 11 मामले लंबित हैं, जिन्हें कॉलेजियम ने मंजूरी दे दी थी और अभी तक उनकी नियुक्ति की प्रतीक्षा की जा रही है।

पीठ ने कहा कि कॉलेजियम द्वारा दोबारा भेजे गए नामों सहित अनुशंसित नामों को मंजूरी देने में देरी के कारण कुछ लोगों ने अपनी सहमति वापस ले ली है और न्यायिक तंत्र ने पीठ में एक प्रतिष्ठित व्यक्ति के शामिल होने का अवसर खो दिया है। शीर्ष अदालत ने कहा, हम पाते हैं कि नामों को रोककर रखने का तरीका इन लोगों को अपना नाम वापस लेने के लिए मजबूर करने का एक तरीका बन गया है, ऐसा हुआ भी है।

न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति अभय एस ओका की पीठ ने कहा, नामों पर कोई निर्णय न लेना ऐसा तरीका बनता जा रहा है कि उनलोगों को अपनी सहमति वापस लेने को मजबूर किया जाए.

जिनके नामों की सिफारिश उच्चतर न्यायपालिका में बतौर न्यायाधीश नियुक्ति के लिए की गई है। नामों को बेवजह लंबित रखना स्वीकार्य नहीं है। पीठ ने केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्रालय के सचिव (न्याय) को नोटिस जारी करके जवाब मांगा है।

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