आधी रात के बाद बदला मौसम , पूर्वांचल में सुबह से हो रही बारिश, साथ में चल रही तेज हवाए

पूर्वांचल में आधी रात के बाद मौसम बदल गया है। गोरखपुर समेत आसपास के इलाकों में तेज हवाओं के बाद सुबह से हल्की बारिश हो रही है। बादलों ने लखनऊ में भी असर दिखाना शुरू कर दिया है।

लोगों को चिलचिलाती धूप और गर्मी से राहत मिल सकती है। तीन दशक में पहली बार मई गरजा और बरसा है। इस महीने सबसे ज्यादा पश्चिमी विक्षोभ आए और आगे भी संभावित हैं। मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक ताजा विक्षोभ की शुरुआत मंगलवार रात से हो गई है जिसका असर 28 मई तक जारी रहेगा। आंकड़ों के मुताबिक 30 साल में मई में कभी बादल नहीं गरजे। जून में जरूर इसका औसत 3.3 दिन प्रति वर्ष-प्रति माह रहा है।

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने 1991 से लेकर 2020 तक मौसम से जुड़ी एक्सट्रीम कंडीशन (चरम स्थिति) के आंकड़े जारी किए हैं। इसके अनुसार मई में औसत (माध्य-मीन) तापमान इन तीन दशकों में 40.3 और न्यूनतम 25.4 डिग्री सेल्सियस रहा है। मई में माध्य यानी मीन बारिश के दिवसों की संख्या मात्र 1.4 है। तीन दशकों में मई में बारिश का औसत मात्र 10.3 मिमी रहा है।

रिकॉर्ड की बात करें तो 30 साल में मई में गरज-चमक ज्यादा नहीं रही है। आईएमडी ने इसका माध्य मात्र 1.6 निकाला है। इसका अर्थ यह है केवल अपवाद के तौर पर ही गरज-चमक रही है। ओलावृष्टि, कोहरा और तूफान कभी नहीं रहा। पर यह बातें वर्ष 2020 तक की हैं। 2023 में मई महीने में ओलावृष्टि भी हुई और तूफानी हवाएं और बारिश का सामना भी करना पड़ा।

मई में तापमान के उतार-चढ़ाव और बेमौसम बारिश का असर फलों पर भी पड़ा है। कुछ फल ज्यादा प्रभावित हुए हैं। मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक जब मौसम में अनिश्चितता हो जाती है तो किसान सिंचाई नहीं करते। इससे फल फटने और गिरने लगे हैं। छोटे भी होने लगे हैं। विशेषकर लीची, नींबू और आम की फसल ज्यादा प्रभावित हुई है।

आईएमडी के अनुसार कानपुर में पिछले तीन दशकों की बात करें तो सर्वाधिक गरज-चमक अगस्त में होती है। इस माह औसतन (माध्य) 9.4 दिन बादल गरजते हैं। जून में अपेक्षाकृत गरज-चमक के दिवस अधिक रहे हैं इनका माध्य 4.4 रहा है। यह माध्य जुलाई में 5.8, सितंबर में 6.4, अक्तूबर में 0.8, नवंबर में 08 और दिसंबर में 0.8 रहता है। 1971 के बाद की बात करें तो इस साल मई में सर्वाधिक 63.4 मिमी वर्षा रिकॉर्ड की जा चुकी है। सीएसए के मौसम विज्ञानी डॉ. एसएन सुनील पांडेय के मुताबिक पिछले पांच दशकों में भी मई का ऐसा नेचर नहीं रहा है। खूब पश्चिमी विक्षोभ आ रहे हैं। मंगलवार से नए पश्चिमी विक्षोभ का असर भी दिखने लगेगा जो 28 मई तक खिंच सकता है।

Related Articles

Back to top button