मिशन कश्मीर पर अमित शाह फिर एक्टिव, करने जा रहे ऐसा…

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ‘मिशन कश्मीर’ पर एक बार फिर से एक्टिव हो गए हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, शाह 1-2 अक्टूबर को जम्मू-कश्मीर का दौरा करने वाले हैं। वह 1 अक्टूबर को जम्मू के राजौरी में और 2 अक्टूबर को कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में जनसभा को संबोधित करेंगे।

पार्टी सूत्रों के हवाले से खबर है कि इस दौरान शाह पहाड़ी भाषी समुदाय के लिए आरक्षण की घोषणा कर सकते हैं। जम्मू के पुंछ, राजौरी जिलों और घाटी के बारामूला जिले में पहाड़ी भाषी समुदाय के लोग बड़ी तादाद में हैं।

मालूम हो कि परिसीमन आयोग को 2011 की जनगणना के आधार पर जम्मू कश्मीर में विधानसभा और संसदीय क्षेत्रों के परिसीमन का काम सौंपा गया था। 2011 की जनगणना के अनुसार जम्मू क्षेत्र की जनसंख्या 53.72 लाख और कश्मीर क्षेत्र की 68.83 लाख है। आयोग ने कुल 90 विधानसभा क्षेत्रों में से 9 को अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित रखा गया है। इन 9 क्षेत्रों में 6 जम्मू में और 3 घाटी में हैं।

जम्मू-कश्मीर को लेकर तीन सदस्यों का परिसीमन आयोग गठित किया गया था। इसने अपने अंतिम आदेश में कश्मीर में विधानसभा सीट की संख्या 47 जबकि जम्मू में 43 रखने की अपील की। इसमें जम्मू में 6 जबकि कश्मीर में एक अतिरिक्त सीट का प्रस्ताव रखा गया है। वहीं राजौरी और पुंछ के क्षेत्रों को अनंतनाग संसदीय सीट के तहत लाया गया है।

अमित शाह की इस यात्रा के साथ ही जम्मू-कश्मीर में भाजपा के चुनाव प्रचार अभियान की शुरुआत हो जाएगी। शाह उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के साथ हाई लेवल सुरक्षा बैठकों की सह-अध्यक्षता भी करेंगे। बताया जा रहा है कि इस दौरान कश्मीर में आतंकवाद से निपटने पर बातचीत होगी। दरअसल, आधिकारिक दावों के बावजूद खुफिया एजेंसियों का मानना ​​​​है कि स्थानीय युवाओं का कट्टरपंथ अभी भी जारी है। एक सीनियर खुफिया अधिकारी ने बताया कि कट्टरपंथी स्थानीय युवा कश्मीर में उग्रवाद का आधार हैं।

ध्यान रहे कि अनुसूचित जनजाति से जुड़े गुर्जर बकरवाल मुस्लिम समुदाय से आने वाले गुलाम अली खटाना को भाजपा ने हाल ही में राज्यसभा के लिए मनोनीत किया है। इसके जरिए भगवा पार्टी ने अपनी भावी रणनीति के संकेत दिए हैं।

दरअसल, अनुच्छेद-370 को निरस्त किए जाने से पहले इस समुदाय का विधायी निकायों में बहुत कम प्रतिनिधित्व था। गुर्जर बकरवाल जम्मू-कश्मीर में एसटी में आते हैं और इनमें हिंदू एवं मुस्लिम दोनों होते हैं। बहुसंख्यक आबादी मुस्लिमों की ही है। कश्मीर में मुस्लिमों के बीच पैठ बनाने की कोशिश के तहत भाजपा बकरवालों को साध रही है।

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