अरुणाचल प्रदेश के ऊपरी सियांग जिले में सेना का हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त, 4 सैनिकों की मौत

देश बीते 5 साल में विमान हादसों में अपने 50 बहादुरों को खो चुका है और आर्मी चॉपर्स के क्रैश होने का सिलसिला रुक नहीं रहा। अरुणाचल प्रदेश के ऊपरी सियांग जिले में शुक्रवार को सेना का हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इसमें 4 सैनिकों की मौत हो गई, जबकि एक सैन्यकर्मी की तलाश जारी है।

सेना के प्रवक्ता ने कहा कि 4 सैन्यकर्मियों के शव चीन से लगी सीमा से 35 किलोमीटर की दूरी पर घने जंगल से बरामद किए गए। एडवांस लाइट हेलीकॉप्टर (ALH) डब्ल्यूएसआई पर 2 पायलट समेत 5 सैन्यकर्मी नियमित उड़ान के तहत सवार थे।

इस महीने अरुणाचल में सेना का हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त होने की यह दूसरी घटना है। 5 अक्टूबर को तवांग जिले में चीता हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, जिसमें सवार 2 पायलटों में से एक की मौत हो गई थी। वहीं, मार्च में जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा के पास एक और चीता हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। इस घटना में पायलट की भी मौत हो गई थी।

2017 से देखा जाए तो सशस्त्र बलों के 20 चॉपर क्रैश हुए हैं जिनमें सेना के 40 अधिकारियों की मौत हुई है और 25 से अधिक घायल हुए हैं। इस साल मार्च से ही सेना के तीन सिंगल-इंजन चीता हेलीकॉप्टर क्रैश हुए हैं। इन्हें 1960 के दशक में तैयार किया गया था, जिनमें आधुनिक सुरक्षा मानकों की कमी है।

नए एएलएच और रूसी मूल के Mi-17 V5 हेलीकॉप्टर भी पिछले कुछ सालों में हादसों का शिकार हुए हैं। पिछले साल दिसंबर में हुए Mi-17 हेलीकॉप्टर क्रैश में देश के पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी और 12 अन्य लोगों की जान चली गई थी। 2017 से अब तक 7 ALHs क्रैश हुए हैं।

वहीं, उत्तराखंड के केदारनाथ स्थित गरूड़चट्टी-देवदर्शनी में बीते मंगलवार को हुई हेलीकॉप्टर दुर्घटना की घटना पिछले 12 वर्षों के दौरान दूसरी सबसे बड़ी घटना थी। 18 अक्टूबर को खराब मौसम की वजह से हुए हादसे में पायलट सहित 7 लोगों की मौत हो गई। इससे पहले 25 जून 2013 को राहत व बचाव कार्य में लगा सेना का एमआई-17 हेलीकॉप्टर जंगलचट्टी की पहाड़ी पर टकराने से दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। उस हादसे में सेना के 20 अधिकारी व जवान शहीद हो गए थे। कई दिनों की खोज के बाद शव मिल पाए थे।

एक अधिकारी ने बताया कि चॉपर्स में अन्य सेफ्टी फीचर्स के साथ ऑब्सटेकल-ओबेडिएंश सिस्टम होना चाहिए, जिसका मौजूदा कई विमानों में अभाव है। खरीब मौसम भी कई बार विमान हादसों की वजह बने हैं। सेना के पास आधुनिक विमानों की कमी का मुद्दा उठता रहा है। इसे दूर करने का पूरा प्रयास किया जा रहा है। सरकार मॉडर्न चॉपर्स की खरीद के लिए करार करने में जुटी है। साथ ही पुराने विमानों को भी फेज आउट करने की तैयारी चल रही है।

यही वजह है कि अगले एक दशक में वायुसेना अपने सभी ज्यादा पुराने विमानों को फेज आउट करने वाली है, यानि उन्हें बेडे़ से हटा लिया जाएगा। इसके लिए भी एक कार्यक्रम तैयार किया गया है। 2024 तक मिग-21 की तीन स्क्वाड्रन को हटा लिया जाएगा। साथ ही 2025-26 से जगुआर विमानों की सभी छह स्वाड्रन को हटाने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी, जिसे 2032 तक उसे पूरा किया जाएगा।

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