भाजपा के लिए बिहार बड़ी चुनौती, आखिरकार नीतीश कुमार ने किया ऐसा…

बिहार में जदयू के एनडीए गठबंधन से अलग होने के बाद भाजपा ने न सिर्फ एक राज्य में सत्ता खोई है, बल्कि उसका एक बड़ा सहयोगी भी उससे दूर हुआ है। भाजपा और जदयू में खटास तो लंबे समय से चली आ रही थी, लेकिन हाल की कुछ घटनाओं ने दोनों दलों का तलाक कुछ जल्द ही करा दिया।

हालांकि, ऐसी स्थिति के लिए भाजपा पहले से ही तैयार थी, इसलिए उसने पटना में अपने सभी मोर्चों की संयुक्त बैठक में न केवल तभी 243 विधानसभा सीटों पर अपने नेताओं को भेजा था, बल्कि 2024 और 2025 की तैयारी करने का आह्वान भी किया था।

भाजपा अब विपक्ष की रचनात्मक भूमिका निभाएगी, लेकिन वह नीतीश कुमार पर सीधे प्रहार करने से भी बचेगी। भाजपा का पूरा हमला अब राजद पर होगा जो नीतीश की नई सरकार में बड़ी हिस्सेदार होगी। राजद के भ्रष्टाचार के पूर्व के मामलों को लेकर भाजपा एक बार फिर मुखर होगी।

इसी पिच पर वह अगले लोकसभा और उसके बाद के विधानसभा चुनाव की तैयारी भी करेगी। भाजपा अब लोक जनशक्ति पार्टी को एकजुट करने की कोशिश करेगी और उसके दोनों धड़ों चिराग पासवान और पशुपतिनाथ पारस को एक साथ लाने की कोशिश भी करेगी, ताकि राज्य में दलित समुदाय को साधकर आगे बढ़ा जा सके।

बीते 24 घंटे में भाजपा नेतृत्व ने इसे रोकने की कोशिश तो की, लेकिन बहुत ज्यादा चिंता भी नहीं दिखाई। सूत्रों के अनुसार, भाजपा नेताओं को यह पता लग चुका था कि नीतीश कुमार फैसला ले चुके हैं और वह वापस नहीं आएंगे। भाजपा को भी अब नीतीश कुमार का साथ भारी पड़ने लगा था, क्योंकि कई मुद्दों पर टकराव हो रहा था। हालांकि, भाजपा इस गठबंधन को तोड़ने के पक्ष में नहीं थी, लेकिन जो हालात बन गए थे, उसमें उसके पास बहुत कुछ करने को नहीं था। विधानसभा में जो दलीय संख्या है उसमें भाजपा किसी तरह की तोड़फोड़ और दूसरी दलों को साथ लेकर भी अपनी सरकार बनाने की स्थिति में नहीं है।

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