सीमा पर चीन और पाक को मिलेगा करारा जवाब, भारतीय सेना को दिया जा रहा ये…

सीमा पर चीन और पाकिस्तान को कड़ी टक्कर देने के इरादे से भारतीय सेना को डिजिटली मजबूत बनाने पर जोर दिया जा रहा है। इसके लिए इंटीग्रेटेड बैटलफील्ड सर्विलांस और इंटेलीजेंस सिस्टम पर काम किया जा रहा है।

इसके तहत विभिन्न तरह के सेंसर्स, सैटेलाइट्स, ड्रोन और राडार पर काम किया जा रहा है। यह अत्याधुनिक तौर-तरीके भारतीय सेना को भविष्य में और बेहतर बनाएंगे। जानकारी के मुताबिक इनमें से कई सिस्टम्स को दिसंबर 2025 के पहले भारतीय सेना का हिस्सा भी बना दिया जाएगा।

इस पूरी कवायद का मकसद भारतीय सेना को और ज्यादा सक्षम बनाना है।  इस प्रोजेक्ट के आने से युद्धक्षेत्र में फैसले लेने, सेना की तैनाती के साथ-साथ सामान आदि पहुंचाने में भी काफी ज्यादा मदद मिलेगी। सूत्रों में मुताबिक एडवांस इलेक्ट्रॉनिक्स और इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी के दम पर आर्मी ज्यादा सटीक, खतरनाक और टिकाऊ बनने पर ध्यान दे रही है। जानकारी के मुताबिक चीन की सेना पहले ही इस दिशा में काम कर रही है। इसके जरिए ड्रैगन अपनी सेना को ज्यादा ताकतवर और फ्यूचर रेडी बना रहा है।

इसके अलावा एसएएमए नाम का एक मॉड्यूल भी तैयार किया जा रहा है। यह आर्मी के इंफॉर्मेश एंड डिसीजन सिस्टम को सपोर्ट करेगा। इसके जरिए सेना से जुड़ी सूचनाएं मात्र एक क्लिक पर सामने होंगी।

सूत्रों के मुताबिक इस सिस्टम को दो साल के लिए रोलआउट किया जा रहा है। वहीं, प्रोजेक्ट अनुमान को नेशनल सेंटर फॉर मीडियम रेंज वेदर फॉरकॉस्टिंग सिस्टम तैयार किया जा रहा है। इसके जरिए लंबी दूरी के हथियारों को क्षमता और एक्यूरेसी बढ़ाई जाएगी। इससे उत्तरी सीमा क्षेत्र की चीन सीमा पर तैनात सेना को मदद मिलेगी।

गौरतलब है कि सेना में ऑटोमेशन पर लगातार काम चल रहा है और इसमें तकनीक के साथ लगातार बदलाव आ रहा है। सूत्रों ने यह भी जानकारी दी कि इंटीग्रेटेड बैटलफील्ड और सर्विलांस सिस्टम का मैदान, रेगिस्तान और पहाड़ी इलाकों में पिछले साल ही गहन ट्रायल किया जा चुका है।

यह भी बताया गया कि इसका नाम प्रोजेक्ट संजय है और इसे भारत इलेक्ट्रॉनिक्स तैयार कर रहा है। इसकी बदौलत युद्धक्षेत्र में सभी स्तर पर कमांडर और स्टाफ को फैसले लेने में मदद मिलेगी। इसके अलावा वर्तमान में जो आर्टिलरी कॉम्बैट, कमांड, कंट्रोल और कम्यूनिकेशन सिस्टम (एसीसीसीएस) को भी बड़े स्तर पर अपग्रेड किया जा रहा है। इसके तहत रक्षा क्षेत्र के मैप्स और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस इस्तेमाल करने को प्रोजेक्ट शक्ति के तहत अपग्रेड किया जा रहा है।

 

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