हिजाब विरोधी प्रदर्शन को लेकर ईरान ने उठाया ये बड़ा कदम , सुनाई गई मौत की सजा

ईरान की रिवोल्यूशनरी अदालत ने देश में लगातार जारी अशांति के बीच एक सरकार विरोधी प्रदर्शनकारी को मौत की सजा सुनाई है। साथ ही पांच अन्य लोगों को कारावास की सजा सुनाई गई है। यहां पिछले कुछ हफ्तों से जारी सरकार विरोधी प्रदर्शनों में भाग लेने के लिए गिरफ्तार लोगों के खिलाफ मुकदमें दर्ज किए जा रहे हैं। ऐसा पहली बार है जब किसी प्रदर्शनकारी को मौत की सजा दी गई है।

पुलिस की हिरासत में 16 सितंबर को 22 वर्षीय महसा अमीनी की मौत के बाद ईरान में देशव्यापी विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। महिलाओं के लिए ईरान में सख्त ड्रेस कोड का उल्लंघन करने पर अमीनी को हिरासत में लिया गया था। शुरुआत में विरोध प्रदर्शन ईरान में हिजाब पहनने की अनिवार्यता पर केंद्रित थे, लेकिन बाद में प्रदर्शनों का सिलसिला बढ़ता गया और ये 1979 की इस्लामी क्रांति के बाद सत्तारूढ़ शासकों के लिए सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक में बदल गए हैं।

वहीं, जर्मनी के चांसलर ओलाफ शोल्ज ने प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई के लिए ईरान सरकार की कड़ी निंदा की है। उन्होंने कहा कि जर्मनी ईरानी लोगों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा है। शोल्ज ने कहा कि ईरानी पुलिस की हिरासत में 16 सितंबर को 22 वर्षीय महसा अमीनी की मौत के बाद शुरू हुए प्रदर्शन अब केवल ड्रेस कोड का सवाल नहीं रहे हैं.

बल्कि स्वतंत्रता व न्याय की लड़ाई में बदल गए हैं। उन्होंने कहा, ‘हमारे लिए इस बात की कल्पना भी मुश्किल है कि ऐसा प्रदर्शन करने के लिए कितने साहस की जरूरत है। प्रदर्शनों में 300 से अधिक मारे गए, दर्जनों को मौत की सजा दी गई और 14,000 से अधिक गिरफ्तारियां की गई।

ईरान की न्यायपालिका से संबंधित समाचार वेबसाइट ने बताया कि प्रदर्शनकारी को एक सरकारी भवन में आग लगाने के मामले में मौत की सजा सुनाई गई। इसके अलावा पांच अन्य लोगों को राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था के उल्लंघन के आरोप में 5 से 10 साल की सजा दी गई।

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