बिहार में नीतीश और तेजस्वी की राह नहीं आसान, होने जा रहा ऐसा…

नीतीश कुमार ने पिछले दिनों कहा था कि 2025 का विधानसभा चुनाव तेजस्वी यादव की लीडरशिप में लड़ा जाएगा। इसके साथ ही महागठबंधन में एकता का बंधन मजबूत होने की चर्चाएं हैं। कहा जा रहा है कि एक तरफ नीतीश कुमार को महागठबंधन 2024 में मोदी के विकल्प के तौर पर पेश कर सकता है तो वहीं 2025 में तेजस्वी यादव सीएम फेस होंगे।

हालांकि राजनीति में कब क्या बदल जाए, कुछ भी भरोसा नहीं होता। टी-20 के दौर में राजनीति में भी तेजी से घटनाक्रम बदलते दिखते हैं। कुछ ऐसा ही हाल बिहार की राजनीति का है, जहां हर चुनाव में कोई नया फैक्टर सामने आता है। इस बार यह पीके यानी प्रशांत किशोर फैक्टर हो सकता है, जो किसे फायदा या नुकसान पहुंचाएगा, यह देखने वाली बात होगी।

दरअसल प्रशांत किशोर बिहार में जमकर यात्रा कर रहे हैं। उनकी जन सुराज यात्रा गांव-गांव जा रही है और खासतौर पर उन पिछड़े इलाकों पर वह फोकस कर रहे हैं, जहां बड़े नेता ना पहुंचे हों। इन कार्यक्रमों में वह खुलकर तेजस्वी यादव पर हमला बोल रहे हैं। लालू प्रसाद का बेटा होने के अलावा उनके पास कोई योग्यता नहीं है जैसी बात हो या फिर सीएम नीतीश कुमार पर भी सीधा हमला, पीके किसी को भी बख्शने के मूड में नहीं हैं। वह साफ कहते दिखते हैं कि नेता आपको जाति और क्षेत्र के एजेंडे में उलझा रहे हैं, लेकिन आपको नौकरी पर सवाल पूछना है।

दरअसल पीके के जन सुराज अभियान से जुड़ने वाले लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है। हर ब्लॉक में उनसे 2 से ढाई हजार लोग जुड़े हैं। पूर्वी चंपारण जिले की बात करें तो यहां करीब 60 हजार लोग साथ आए हैं। इनमें से 35 फीसदी अति पिछड़ा हैं। इसके अलावा मुस्लिम, सवर्ण और अन्य समुदायों के लोग भी जुड़ रहे हैं। दरअसल पीके लगातार जातिवाद से अलग रहने की बात कर रहे हैं और रोजगार, शिक्षा, सेहत के मुद्दे उठा रहे हैं। पेशेवर लोगों का भी एक बड़ा तबका पीके की ओर से आकर्षित हो रहा है।

पीके कहते हैं, ‘आपको ग्रैजुएट बेटा बेरोजगार है क्योंकि भर्ती परीक्षाएं लीक हो रही हैं। वहीं 10वीं पास डिप्टी सीएम है क्योंकि उसके पिता लालू यादव हैं। आप कहते हैं कि स्कूल अच्छे नहीं हैं, लेकिन मुझे बताएं कि क्या आपने स्कूल के लिए कभी मतदान किया है। नीतीश कुमार कुर्सी पर बने रहने की कला जानते हैं और वह वही करते हैं। वह कुछ निश्चित अधिकारियों से घिरे रहते हैं और उतना ही देखते हैं, जितना वे दिखाना चाहते हैं। 2023 के नीतीश कुमार 2014 वाले से अलग हैं। आपसे ज्यादा मैं उनको जानता हूं।’ वह कहते हैं कि आप सभी लोग पीड़ित हैं, लेकिन जाति और धर्म के नाम पर बंट जाते हैं।

 

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