जानिए युवाओं को कट्टर बनाता था PFI, अब तक 1400 से अधिक केस दर्ज

केंद्र सरकार ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के खिलाफ सख्त कदम उठाते हुए प्रतिबंधित कर दिया है। केंद्रीय एजेसियों का आरोप है कि इस संस्था ने युवाओं को कट्टरपंथी बनाने के लिए बाबरी विध्वंस और गुजरात दंगे का वीडियो का खूब सहारा लिया। इसके खिलाफ अब तक 1400 से अधिक मामले दर्ज हो चुके हैं।

ये मामले गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम-1967, विस्फोटक पदार्थ अधिनियम, शस्त्र अधिनियम और भारतीय दंड संहिता (IPC) के तहत देश भर में दर्ज हुए हैं। केंद्रीय जांच एजेंसियों के आंकड़ों से इसकी जानकारी मिली है।

एक अधिकारी ने बताया, “इन समूहों को धन जुटाने के लिए प्रवासी मुसलमानों के साथ जुड़ने का काम सौंपा गया था। आम तौर पर धन नकद में एकत्र किया जाता था और हवाला चैनलों के जरिए से भारत में लाया जाता था। या फिर भारत में उनके रिश्तेदारों और पीएफआई सदस्यों के दोस्तों के खातों में पैसे भेजकर भी मदद की जाती थी। आईएफएफ खाड़ी में धन जुटाने के लिए सबसे महत्वपूर्ण शाखा के रूप में उभरा था।”

ईडी ने कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (सीएफआई) के पूर्व महासचिव रऊफ शरीफ से पूछताछ की तो पता चला कि पीएफआई एक गुप्त विंग चलाता है। यह चुनिंदा दक्षिणपंथी नेताओं पर बदला लेने की योजना बनाता है और उसे अंजाम देता है।

इस साल जुलाई में भारतीय जनता युवा मोर्चा के सदस्य प्रवीण नेतरू की बाइक सवार हमलावरों ने मुस्लिम प्रवासी मजदूर मसूद की हत्या के प्रतिशोध में हत्या कर दी थी। स्थानीय पुलिस और बाद में एनआईए को आरोपी के पीएफआई और एसडीपीआई के साथ संबंध मिले। भारत में PFI और CFI दोनों ही प्रतिबंधित हैं।

एनआईए के एक अधिकारी ने दावा किया, “1992 के बाबरी मस्जिद विध्वंस और 2002 के गुजरात दंगों के वीडियो क्लिपिंग के जरिए पीएफआई लड़ाकों को कट्टरपंथी बनाता था। कई कैडरों को हथियारों का प्रशिक्षण दिया गया था।” आपको बता दें कि साल 2006 में PFI का गठन हुआ था।

पीएफआई के शीर्ष नेताओं और संदिग्धों से पूछताछ में पता चला है कि इस संगठन ने विभिन्न खाड़ी देशों में जिला कार्यकारी समितियों का गठन किया था। द इंडिया फ्रेटरनिटी फोरम और इंडियन सोशल फोरम इसके विदेशी मोर्चे थे।

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