गुलाम नबी आजाद के कांग्रेस छोड़ने पर सियासत जारी, अब हुआ ऐसा…

गुलाम नबी आजाद के कांग्रेस छोड़ने पर सियासत जारी है। अब खबर है कि आजाद लंबे समय से पार्टी छोड़ने की योजना बना रहे थे, लेकिन कोविड-19 के चलते ऐसा नहीं कर सके।

वहीं, कांग्रेस का मानना है कि उनके जाने से पार्टी को जम्मू-कश्मीर में खास फर्क नहीं पड़ेगा। वरिष्ठ राजनेता ने शुक्रवार को ही कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखे पत्र में राहुल गांधी के नेतृत्व समेत कई मुद्दों पर बात की थी।

पार्टी सूत्रों ने बताया है कि आजाद बीते दो सालों से कांग्रेस छोड़ने की तैयारी कर रहे थे, लेकिन कोविड के चलते उन्होंने अपना फैसला टाल दिया था। सूत्रों ने आरोप लगाया ‘बीते 7-8 सालों में आजाद ने जम्मू-कश्मीर में हुए AICC के किसी कार्यक्रम में हिस्सा नहीं लिया। आजाद की वजह से पार्टी छोड़कर गए लोग दोबारा वापस आएंगे।’ साथ ही उन्होंने कहा, ‘गुलाम नबी आजाद के भाजपा के साथ संबंध हैं और आजाद को राज्य में केंद्रीय एजेंसियों का भी सहयोग मिल रहा है।’

उन्होंने आगे बताया कि आजाद बड़ी साजिश का हिस्सा है और किसी और की स्क्रिप्ट बोल रहे हैं। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर के लोगों को जल्दी पता लग जाएगा कि वह किसके लिए काम कर रहे हैं।

सूत्रों ने कहा, ‘कांग्रेस की रणनीति साफ है, प्रदेश अध्यक्ष और कार्यकारी अध्यक्ष विधानसभा सीटों पर जाएंगे और बड़ी संख्या में लोग कांग्रेस पार्टी में शामिल होंगे। आजाद के जरिए फायदा हासिल करने वाले कांग्रेस पार्टी के लोग अब चले गए हैं और आगे जाएंगे। पूर्व उपमुख्यमंत्री ताराचंद और मनोहर लाल जैसे लोग भी पार्टी को छोड़कर चले गए, जो आजाद के जाने के एक दिन पहले तक कांग्रेस के पास आते थे और कहते थे कि वह आजाद साहेब को समझाएंगे।’

सूत्रों के हवाले से लिखा कि आजाद के पार्टी छोड़ने से कांग्रेस को परेशानी नहीं होगी। सूत्रों ने बताया कि इससे चिनाब घाटी और आसपास की सीटों पर असर पड़ सकता है। पार्टी ने आरोप लगाए हैं कि आजाद ने जम्मू और कश्मीर में किसी भी नेता को बड़ा नहीं होने दिया। साथ ही पार्टी का कहना है कि जो लोग उनके चलते कांग्रेस छोड़कर गए थे, वे जल्दी पार्टी में दोबारा शामिल होंगे।

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