घटनास्थल पर मौजूद शख्स का दावा , कहा कुछ लड़के हिला रहे थे पुल

अहमदाबाद के रहने वाले विजय गोस्वामी और उनके परिवार के लोग मोरबी में हुए पुल हादसे में बाल-बाल बच गए। गोस्वामी पूरे परिवार के साथ रविवार को हुए भीषण हादसे से कुछ घंटे पहले ही पुल पर गए थे, लेकिन युवकों की ओर से केबल पुल हिलाए जाने के कारण वह नीचे उतर आए।

हालांकि, कुछ घंटों बाद उनका डर सही साबित हुआ और पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र मच्छु नदी पर बना केबल पुल शाम करीब 6:30 बजे टूट गया। हादसे में 132 लोगों की मौत हो गई है।

गोस्वामी ने कहा कि वह दीवाली की छुट्टियों में परिवार के साथ मोरबी आए थे। अहमदाबाद पहुंचने के बाद गोस्वामी ने बताया, ‘पुल पर बहुत भीड़ थी। जब मैं और मेरा परिवार वहां पहुंचे तो कुछ युवक जानबूझकर पुल को हिला रहे थे। लोगों के लिए बिना सहारे के उसपर खड़ा होना मुश्किल था। चूंकि मुझे लगा कि यह खतरनाक साबित हो सकता है, मैं पुल पर कुछ दूर चढ़ने के बाद ही परिवार के साथ नीचे उतर आया।’

उन्होंने कहा, ‘वहां से जाने से पहले मैंने ड्यूटी पर मौजूद कर्मचारी को लोगों को पुल हिलाने से रोकने को भी कहा। लेकिन, उन्हें सिर्फ टिकट बेचने में दिलचस्पी थी और उन्होंने कहा कि भीड़ को नियंत्रित करने का कोई उपाय नहीं है। हमारे वहां से जाने के कुछ ही घंटे बाद हमारा डर सच हो गया और पुल टूट गया।’

सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो में कुछ युवकों को पुल के केबल को लात मारते और दूसरे लोगों को डराने के लिए पुल को हिलाते देखा जा सकता है। मौके पर मौजूद कई बच्चों ने बताया कि पुल गिरने के बाद उनके परिवार के सदस्य या माता-पिता अभी तक लापता हैं। 10 साल के एक बच्चे ने बताया, ‘बहुत भीड़ थी, तभी पुल अचानक टूट गया। मैं बच गया क्योंकि मैंने एक रस्सी पकड़ ली थी और फिर धीरे-धीरे उससे ऊपर आ गया। लेकिन मेरे मम्मी-पापा अभी भी लापता हैं।’

गोस्वामी ने कहा कि जब वह और उनका परिवार पुल पर था तो कुछ युवक जानबूझ कर पुल को हिला रहे थे, उस कारण पुल पर लोगों का चलना भी दूभर हो रहा था।

गोस्वामी को लगा कि इससे खतरा हो सकता है। वह और उनका परिवार पुल से नीचे उतर आए। उन्होंने बताया कि इसके बारे में उन्होंने पुल के कर्मचारियों को भी सूचना दी, लेकिन उन्होंने उसे नजरअंदाज कर दिया। ब्रिटिश काल में बना यह पुल मरम्मत के बाद चार दिन पहले ही लोगों के लिए खुला था।

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