तीन बार देश के प्रधानमंत्री रहे अटल बिहारी वाजपेयी जी के इन फैसलों ने हमेशा के लिए बदली देश की तस्वीर

भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की आज 98वीं जयंती है। तीन बार देश के प्रधानमंत्री रहे अटल बिहारी वाजपेयी को हर कोई अपनी-अपनी तरह से याद कर रहा है। वाजपेयी ने पीएम रहते हुए कई बड़े और कड़े कदम उठाए थे। उनके कई फैसलों ने देश की तस्वीर हमेशा के लिए बदल दिया।

स्वर्णिम चतुर्भुज योजना

पीएम रहते हुए अटल बिहारी वाजपेयी ने एक शहर को दूसरे शहर से जोड़ने के लिए स्वर्ण‍िम चतुर्भुज योजना की शुरुआत की थी। स्वर्ण‍िम चतुर्भुज योजना के तहत चेन्नई, कोलकाता, दिल्ली और मुंबई को हाइवेज के नेटवर्क से जोड़ने में मदद की। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना ने देश के दूर-दराज इलाकों में बसे गांवों को सड़क से जोड़ने का काम किया।

निजीकरण

वाजपेयी के प्रधानमंत्रित्व काल के दौरान देश में निजीकरण को बढ़ाया गया। इसके लिए उन्होंने अलग से विनिवेश मंत्रालय का गठन किया। इसके मंत्री अरुण शौरी बनाए गए थे। सबसे महत्वपूर्ण विनिवेश में भारत एल्युमिनियम कंपनी (BALCO) और हिंदुस्तान जिंक, इंडिया पेट्रोकेमिकल्स कॉरपोरेशन लिमिटेड और VSNL शामिल थे। वाजपेयी के इन फैसलों से भविष्य में सरकार की भूमिका तय हो गई।

पोखरण में परमाणु परीक्षण

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के सबसे कड़े और ऐतिहासिक फैसलों में से एक है पोखरण परमाणु परीक्षण। मई 1998 में भारत ने पोखरण में परमाणु परीक्षण किया था। ये 1974 के बाद भारत का पहला परमाणु परीक्षण था। इसके बाद दुनियाभर के तमाम देश भारत के विरोध में खड़े हो गए थे। अमेरिका सहित कई देशों में आर्थिक पाबंदी लगा दी।

सर्व शिक्षा अभियान

6 से 14 साल के बच्चों को मुफ़्त शिक्षा देने का अभियान वाजपेयी के कार्यकाल में ही शुरू किया गया था। इसी योजना का परिणाम था कि 2001 में लॉन्च हुई इस योजना के जरिए गांव-गांव स्कूल खोले गए। इस मिशन से वाजपेयी के लगाव का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने स्कीम को प्रमोट करने वाली थीम लाइन ‘स्कूल चले हम’ ख़ुद से लिखा था।

टेलिकॉम क्रांति

वाजपेयी जी की सरकार की टेलीकॉम क्रांति हुए। नई टेलिकॉम पॉलिसी लाई गई। जिससे भारत में टेलीकॉम क्रांति की शुरुआत हुई। इसमें उन्होंने टेलीकॉम कंपनियों के लिए एक तय लाइसेंस फीस हटाकर रेवन्यू शेयरिंग की व्यवस्था शुरू की गई। वाजपेयी की सरकार ने अंतरराष्ट्रीय टेलीफोनी में विदेश संचार निगम लिमिटेड के एकाधिकार को पूरी तरह खत्म कर दिया था। इससे भी भारतीय अर्थव्यवस्था को नई दिशा मिली।

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