यूक्रेन के सुरक्षा बलों ने शुक्रवार को देश के पूर्वी हिस्से में रूसी सेना के खिलाफ अपने जवाबी हमले में नई सफलता का दावा किया और एक बड़े गांव पर नियंत्रण कर लिया, जिसके बाद वे एक महत्वपूर्ण परिवहन जंक्शन की ओर बढ़ गए। अमेरिका के शीर्ष राजनयिक और नाटो के प्रमुख ने इस घटनाक्रम का जिक्र किया। हालांकि, उन्होंने आगाह किया कि युद्ध के कई महीनों तक चलने की आशंका है।
इस बीच, यूक्रेन-रूस युद्ध की चपेट में आया यूरोप का सबसे बड़ा परमाणु ऊर्जा संयंत्र उच्च जोखिम के मद्देनजर आपात स्थिति में काम कर रहा है। यूक्रेन के सरकारी परमाणु ऊर्जा ऑपरेटर ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। छह-रिएक्टर वाला जापोरिज्जिया परमाणु ऊर्जा संयंत्र फरवरी में शुरू हुए युद्ध की शुरुआत में रूसी सेना के नियंत्रण में आ गया था, लेकिन यूक्रेनी कर्मचारियों द्वारा इसका संचालन किया जा रहा है।
इस संयंत्र और आसपास के क्षेत्रों में बार-बार गोलाबारी हुई है और इसके लिए रूस और यूक्रेन एक-दूसरे की सेना पर दोष मढ़ते रहे हैं। संयंत्र को यूक्रेनी बिजली ग्रिड से जोड़ने वाली आखिरी बिजली लाइन सोमवार को काट दी गई थी और इसमें बिजली का बाहरी स्रोत नहीं रह गया था। संयंत्र में छह रिएक्टरों में से केवल एक से सुरक्षा प्रणालियों के लिए बिजली प्राप्त हुई, जिससे इसका संचालन हो रहा है।
देश के परमाणु ऊर्जा ऑपरेटर ‘एनरगोएटम’ ने शुक्रवार को कहा कि गोलाबारी के कारण बाहरी लाइनों की मरम्मत असंभव है। ‘एनरगोएटम’ के प्रमुख पेट्रो कोटिन ने शुक्रवार को यूक्रेनी टीवी को बताया, ‘संयंत्र से रूसियों की वापसी और इसके चारों ओर एक सुरक्षा क्षेत्र के निर्माण से जापोरिज्जिया परमाणु ऊर्जा संयंत्र में स्थिति सामान्य हो सकती है।’
कोटिन ने गुरुवार को ‘एसोसिएटेड प्रेस’ को दिए एक साक्षात्कार में बताया कि एकमात्र संचालित संयंत्र किसी भी समय ”पूरी तरह से बंद हो सकता है” और इसके बाद बिजली का एकमात्र स्रोत डीजल जनरेटर होगा।
यूक्रेन की सेना ने यह भी कहा कि उसने रूसी पोंटून पुलों पर नए हमले शुरू किए, जो नीपर नदी के पार सैन्य मदद लाने के लिए खेरसॉन और उसके आस-पास के क्षेत्र में आपूर्ति करते थे। सेना की दक्षिणी कमान ने कहा कि यूक्रेन के तोप और रॉकेट हमलों ने नदी के उस पार के सभी पुलों को अनुपयोगी बना दिया है।