क्यों बोला जाता है हवन के समय स्वाहा, जानिए सदियों पुरानी इस परंपरा की मान्यताएं

हिंदू धर्म में पूजा-पाठ और धार्मिक अनुष्ठानों को खास महत्व दिया जाता है. हर देवता की पूजा अलग विधि-विधान से की जाती है. पूजा के समाप्ति के दौरान हवन किया जाता है. ज्यादातर हवन और उसमें आहुति देने की प्रक्रिया एक जैसी ही होती है. हवन करने की परंपरा सदियों पुरानी है. प्राचीन काल से ही लोग हवन की परंपरा का पालन कर रहे हैं. पूजा-पाठ में होने वाले हवन से कौन-कौन से फायदे होते हैं यहां इसके बारे में बताया गया है.

1. हिंदू धर्म में होने वाले पूजा पाठ के दौरान हवन को शुद्धीकरण का कर्मकांड माना जाता है. ऐसा कहा जाता है कि अगर पूजा-पाठ के दौरान हवन न किया जाए तो पूजा अधूरी रह जाती है. धर्म के जानकार बताते हैं कि पूजा के दौरान हवन करने से जीवन में आई उथल-पुथल शांत हो जाती है और ग्रह दोष दूर हो जाते हैं. अक्सर आपने देखा होगा कि किसी काम को करने या नए घर में प्रवेश करने से पहले हवन जरूर किया जाता है. वास्तु शास्त्र के जानकार बताते हैं कि हवन की वजह से वास्तु दोष से छुटकारा मिलता है.

2. कई जानकार हवन होने के पीछे वैज्ञानिक तर्क भी देते हैं. हवन के लिए कहा जाता है कि इससे वायुमंडल शुद्ध होता है क्योंकि इसमें इस्तेमाल होने वाली चीजें आमजन के लाभकारी होती हैं. हवन से उठने वाले धुएं से घर में फैली कई प्रकार बीमारियां दूर हो जाती हैं और हानिकारक जीवाणु खत्म हो जाते हैं.

3. हवन के दौरान जब आहुति को अग्नि को समर्पित करते हैं तब स्वाहा का उच्चारण किया जाता है. इस स्वाहा के उच्चारण को लेकर एक पौराणिक कथा ये हैं कि प्रजापति दक्ष की बेटी का नाम स्वाहा था जिनका विवाह अग्नि देव के साथ हुआ था और इन्हीं स्वाहा और अग्नि देव के जरिए आग को समर्पित आहुति देवताओं तक पहुंचती है फिर आपको देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है.

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