अखिलेश के सामने आ गए तीन इम्तिहान, जानकर चौक जाएँगे आप भी

सपा के संस्‍थापक और तीन बार यूपी के मुख्‍यमंत्री रहे मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद अखिलेश यादव के सामने वैसे तो कई चुनौतियां आ खड़ी हुई हैं लेकिन हाल-फिलहाल ये तीन इम्तिहान उन्‍हें देने होंगे।

यूं तो अखिलेश यादव अभी तक सपा में अपने चाचा शिवपाल को किसी सियासी भूमिका देने से बचते रहे हैं। इसी कारण शिवपाल ने अलग पार्टी बना ली लेकिन अब हालात बदले हुए हैं। पिछले कुछ दिनों से शिवपाल यादव परिवार पर हुए वज्रपात के दौर में अखिलेश को ढांढस बंधाते दिखे। हाल में सैफई में ‘नेताजी’ को श्रद्धांजलि देने आए कार्यकर्ताओं से शिवपाल ने यहां तक कह दिया कि मुलायम सिंह अब अखिलेश में दिखा करेंगे।

बताया जा रहा है कि परिवार के वरिष्ठ सदस्य अब ‘नेताजी’ की उस इच्छा की दुहाई दे रहे हैं कि जिसमें उन्होंने शिवपाल व अखिलेश को साथ आकर सपा को मजबूत करने व इसे राष्ट्रीय पार्टी बनाने की इच्छा जताई थी। इसे नकारना दोनों के लिए आसान नहीं होगा।

अखिलेश यादव को मुलायम सिंह यादव की गैरमौजूदगी में उनकी बनाई समाजवादी पार्टी को नई दशा और दिशा में ले जाना है। वहीं मुलायम की सियासी विरासत के बूते पार्टी को आगे बढ़ाने और मुलायम के लाखों गमज़दा समर्थकों को एकजुट करने का भी बड़ा काम है। लेकिन इन सबके साथ अखिलेश के लिए हाल-फिलहाल इन तीन इम्तिहानों को पास करने की चुनौती है।

बदले हालात में अब अखिलेश यादव को सहानुभूति का लाभ मिलेगा। सपा ने 21 अक्तूबर को जगह-जगह मुलायम की स्मृति में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया है। यह आयोजन वैसे तो एक तरह से शोक सभा है।

पर इसमें मुलायम द्वारा जनता के लिए कामों को भी याद किया जाएगा। जाहिर है, समाजवादी पार्टी अपने समर्थकों को मुलायम के नाम व काम के जरिए एकजुट करना चाहती है। अखिलेश के प्रति लोगों में सहानुभूति का ज्वार भी देखने को मिल रहा है। पर इस सहानुभूति का आगे बरकरार रखना आसान नहीं है। सपा मुखिया अखिलेश यादव को अपनी नई भूमिका के लिए तैयार करना होगा।

सबसे पहले तो उनके सामने दो उपचुनाव होने हैं। सपा गोला गोकर्णनाथ विधानसभा सीट भाजपा से छीनने की तैयारी में है तो मैनपुरी लोकसभा सीट को बचाने की चुनौती है। मुलायम की इस सीट पर होने वाले उपचुनाव पर सबकी निगाहें होंगी। यहां भाजपा से भी जूझना होगा। इस इम्ति‍हान के बाद निकाय चुनाव की जंग में उतरना है। ऐसे में यह सवाल भी उठ रहा है कि क्‍या इन चुनौतियों से निपटने में चाचा शिवपाल भतीजे अखिलेश का साथ देंगे?

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